संस्कृत में क्या लिखा था रूसी तोपों पर?

17 मई, 2025 को, X पर @elitepredatorss नामक अकाउंट द्वारा साझा की गई एक हैरान करने वाली तस्वीर ने सैन्य विशेषज्ञों, सांस्कृतिक विद्वानों और आध्यात्मिक समुदायों का ध्यान आकर्षित किया। इस तस्वीर में दो सैनिक, दुनिया के सबसे बड़े चलित तोपखानों में से एक, 2S7 माल्का की देखभाल करते दिख रहे हैं। लेकिन जो बात सबसे ज्यादा ध्यान खींचती है, वह है इसकी नाल पर लिखा गया संस्कृत मंत्र है। इस पोस्ट ने व्यापक जिज्ञासा पैदा की, और X के उपयोगकर्ताओं ने इस मंत्र को समझने और इस असामान्य मिश्रण के पीछे के कारणों पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया। आइए, इस तस्वीर के महत्व, संस्कृत मंत्र के अर्थ और इसके पीछे की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर गौर करें।

2S7 माल्का: तोपखाने का विशालकाय योद्धा

2S7 माल्का, 2S7 पियोन का एक उन्नत संस्करण है, जो 1970 के दशक से सोवियत संघ में उपयोग में आने वाला 203 मिमी का ट्रैकयुक्त स्वचालित हॉवित्जर है। यह प्रणाली बड़े पैमाने पर आक्रामक अभियानों के लिए बनाई गई थी, जो अक्सर टैंकों और पैदल सेना के साथ मिलकर दुश्मन की किलेबंदी को तोड़ने के लिए अप्रत्यक्ष हमले करती है। हालांकि इसका उत्पादन बंद हो चुका है, लेकिन यह रूसी सेना के रिजर्व में मौजूद है और अजरबैजान, बेलारूस और यूक्रेन जैसे कई देशों द्वारा अभी भी उपयोग किया जाता है।

तस्वीर में दो सैनिक तोप की देखभाल या इसे हमले के लिए तैयार करते दिख रहे हैं। लेकिन नाल पर लिखा संस्कृत मंत्र इस युद्ध के हथियार को एक अनोखा आयाम देता है।

संस्कृत मंत्र का अर्थ

X उपयोगकर्ताओं ने माल्का की नाल पर लिखे गए संस्कृत मंत्र को नरसिंह मंत्र का हिस्सा बताया। @hajrahuzur और @namo1700 जैसे उपयोगकर्ताओं ने पूरा मंत्र साझा किया, जो इस प्रकार है:

उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥

यह नृसिंह मंत्र का एक श्लोक है। इसका अर्थ है: “मैं उस उग्र, वीर, महाविष्णु को प्रणाम करता हूँ, जो सर्वव्यापी है, जिसकी ज्वालाएँ सर्वत्र फैलती हैं। मैं उस भीषण, भद्र, और मृत्यु के भी मृत्यु, नरसिंह को प्रणाम करता हूँ।” 

भगवान नरसिंह, हिंदू देवता विष्णु का एक अवतार हैं, जो शेर और मनुष्य का संयुक्त रूप धारण करते हैं। वे बुराई को नष्ट करने और अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए पूजे जाते हैं। यह मंत्र एक कवच मंत्र माना जाता है, जो इसे जपने वालों को सुरक्षा प्रदान करता है, भय को दूर करता है और दुष्ट शक्तियों का नाश करता है। इस संदर्भ में, माल्का की नाल पर यह लेखन एक प्रतीकात्मक कवच की तरह है, जो इस हथियार और इसके संचालकों को युद्ध की अराजकता में दैवीय सुरक्षा प्रदान करने का प्रतीक है।

रूसी हथियार पर संस्कृत क्यों?

यह घटना पूरी तरह से नई नहीं है। रूस में हिंदू धर्म का प्रभाव बढ़ रहा है, पिछले कुछ दशकों में, रूस में हिंदू धर्म ने अपनी जड़ें जमाई हैं, और ISKCON ने मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग जैसे शहरों में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाई है। इस संगठन का भगवद् गीता की शिक्षाओं, कृष्ण भक्ति और मंत्र जाप जैसी प्रथाओं पर जोर कई रूसियों को आकर्षित करता है, जो पारंपरिक रूढ़िवादी ईसाई धर्म से परे आध्यात्मिक सांत्वना की तलाश में हैं।

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